शबनम की बूँद लगी, ख़ुदा की नूर लगी तुम,
हम हुए दूर तुमसे तो, मज़बूर लगी तुम,
इतना भी न होना मज़बूर, कि ख़ुद से ज़ुदा रहना,
पास थी इतने मेरी, अब ख़ुद के साथ रहना तुम,
जा रहा हूँ मैं मगर, अलविदा कभी न कहना तुम,
ख़ता जो मैंने की नहीं, उसे माफ़ करना तुम,
चाहे जो कह लेना, मगर बेवफ़ा न कहना,
थीं मेरी भी कुछ मजबूरियाँ, उसे समझना तुम,
जीने से जी भर जाये तो भी, जीवन से न हारना तुम,
अभी तक मानी मेरी बातें सारी, आख़िरी हाँ भी करना तुम,
अपने लिए ना सही, तो मेरी लिए ही जीना,
ज़िन्दगी का आख़िरी जंग भी जीत लेना तुम,
ज़िन्दगी ख़त्म नहीं हुई-मंजिलें और भी हैं, आगे कदम बढ़ाना तुम,
साथ मेरा न मिला तो क्या, कोई और से हाँथ मिलाना तुम,
मेरी तरह न होना-साथ निभाना उसका, बेवफ़ा न कहलाना,
मैं रहूँ ना रहूँ दुआ करूँगा रब से, जहाँ रहना सदा मुस्कुराते रहना तुम.